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परमाणू ऊर्जा के क्षेत्र में कैसे गेम चेंजर हैं SMR, भारत और रूस का समझौता ,जाने क्या होता है SMR और क्या है इसके फायदे

 "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है" दुनिया में अब एक नई टेक्नोलॉजी जन्म ले रही है। जिससे अब बिजली की चिंता नहीं रहेगी परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में गेम चेंजर बना  SMR । भारत विकसित कर रहा है "भारत SMR ", जल्द होगा काम शुरु। आज के इस लेख में हम SMR के बारे में बात करने वाले हैं। 


परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाले हैं बड़ा परिवर्तन 
Bharat nuclear reactor technology
Image by freepik 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विश्व में परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन करने के नए तरीकों का लगातार आविष्कार किया जा रहा है। जिनका उद्देश्य बढ़ते वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण को कम करना और जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करना है । 


इसके लिए कई विकसित और टेक्नोलॉजी से भरपूर देशों ने तो इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है। यह देश एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ट्रांसपोर्ट किया जा सके साथ ही उसमें अच्छी खासी बिजली भी पैदा की जा सके जिससे ऊर्जा का एक नया स्त्रोत उत्पन्न हो सके। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है और इसका नाम दिया गया है SMR । 


SMR क्या है 
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SMR एक परमाणवीय ऊर्जा प्रदान करने वाली तकनीक है जिसे" स्मॉल माड्यूलर रिएक्टर" SMR कहा जाता है। यह पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में काफी छोटे मॉड्यूलर और साथ ही अधिक लचीले होते हैं। इनके छोटे होने के कारण इन्हें आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और इनके लचीले होने के कारण इनसे बिजली भी पैदा की जा सकती है। साथ ही इनसे डेकार्बनाइजेशन वाली बिजली अर्थात जिस बिजली में कार्बन की मात्रा काफी कम हो, को भी पैदा किया जा सकता है। 

इसके अलावा सबसे बड़ा फायदा इनकी सुरक्षा में है । जहां एक तरफ बड़े परमाणु रिएक्टर्स की सुरक्षा में थोड़ी भी चूँक होने से बड़ा खतरा हो जाता है। वहीं यह स्मॉल साइज रिएक्टर्स इनमें समाहित रेडियोएक्टिव पदार्थ के रिसाव के खतरे को काफी हद तक कम कर देते हैं । 


भारत भी बना रहा है अपना SMR 


इस तकनीक में भारत भी किसी से पीछे नहीं है । भारत का पहला परमाणु संयंत्र भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र,BARK इस तकनीक पर काम कर रहा है तथा इसको "भारत SMR " नाम दिया गया है। इस तकनीक से भारत की अन्य देशों से ईंधन के लिए निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी और भारत आत्मनिर्भर भारत के रूप में उभर सकेगा। 


रूस देगा अपना योगदान 
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के सरकारी परमाणु निगम रोसाटोम  में प्रोजेक्ट डायरेक्टर अलैकजेंडर वोलगिन ने SMR की संभावनाओं पर भारत को सहायता प्रदान करने के बारे में कहा। आगे उन्होंने कहा कि SMR में स्मॉल का मतलब है काफी हद तक जगह को कम करना और मॉड्यूलर एक कारखाने के रूप में इकट्ठा होना है अर्थात रुसी SMR सिर्फ 15 से 17 हेक्टेयर क्षेत्र में आ सकते हैं और वहीं भारत के पास तमिलनाडु में स्थित परमाणु संयंत्र जैसे विशाल संयंत्र हैं। 

उन्होंने रुसी SMR की विशेषताएं बताते हुए कहा कि रुसी SMR 55 मेगावाट तक की बिजली और लगभग 200 मेगावाट तक की तापीय ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम है। यदि भारत का परमाणु विभाग हमें कहे तो हम उनको सहयोग प्रदान कर सकते हैं ,इस तकनीक को विकसित करने में।


       --समाप्त--


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