हाल ही में प्रकाशित UDISE प्लस (यूनिफाइड डिस्टिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सत्र 2024 -25 में कुल शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के पार पहुंच गई है। यह संख्या कई देशों की तो आबादी से भी ज्यादा है UDISE सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का एक डेटाबेस है जो शिक्षा संबंधित जानकारी एकत्र करता है
जारी की गई रिपोर्ट
प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक शैक्षणिक सत्र में शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के पार पहुंच गई है। इसमें से 61 परसेंट लगभग सरकारी टीचर हैं शैक्षणिक वर्ष 2023 24 में यह आंकड़ा 9807600 का था इस वर्ष अनुपात में काफी उछाल देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार अभी तक एक लाख से भी अधिक विद्यालयों में एक एक ही शिक्षक हैं उनमें एक शिक्षक ही सभी विषय पढ़ाता है वहीं लग्भग 7000 से भी अधिक स्कूलों में कोई नामांकन ही नहीं है अर्थात वहां कोई स्टूडेंट नहीं है
पढ़ाई की गुणवत्ता
देश में शिक्षकों का आंकड़ा तो बढ़ता जा रहा है लेकिन वैसी शिक्षा कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आती सरकारी स्कूलों की तो स्थिति खराब है सरकारी स्कूलों में शिक्षक बच्चों को ऐसा भी नहीं पढ़ाते कि उनका आधार मजबूत हो जाए। सरकार के अनुसार इस अनुपात में शिक्षक तो बढ़ रहे हैं लेकिन बच्चों की शिक्षा में कोई गुणवत्ता नजर नहीं आ रही है।
ज्यादातर सरकारी स्कूलों में तो बच्चों का पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं होता तो कहीं बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाया जाता है। अगर बच्चे टूशन नहीं पढ़ते तो शिक्षक उन्हें धमकी देते हैं कि वह उन्हें परीक्षा में फेल कर देंगे।
सरकार पूर्ण रूप से बच्चों के भविष्य को लेकर सजग नहीं है। देश में कमी उच्च शिक्षा की है न की शिक्षकों की। प्राइवेट स्कूलों में मनचाही फीस मांगते हैं अलग-अलग कार्यों के लिए छात्रों पर ही एक्स्ट्रा फीस लगा दी जाती है प्राइवेट विद्यालयों में भी बच्चों और उनके परिवारों का शोषण किया जा रहा है।
सरकार का इस ओर कुछ ध्यान ही नहीं है यह बच्चे देश का भविष्य हैं यदि उनकी शिक्षा में कमी रह गई तो देश के भविष्य पर संकट आ सकता है सरकार को प्राइवेट स्कूलों ,प्राइवेट या सरकारी शिक्षकों से /शिक्षा से संबंधित सख्त नियम लागू करने चाहिए जिससे बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके
छात्र शिक्षक अनुपात
वर्तमान में देश में शिक्षा के जो हालात हैं वह बाकी घटिया हैं देश में जाने कितने ही सरकारी स्कूल हैं जिनमे एक अध्यापक सारे छात्रों को सभी विषय पड़ता है रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी तक ऐसे विद्यालयों की संख्या लगभग 1 लाख से भी अधिक है लेकिन जिस हिसाब से शिक्षकों की संख्या बढ़ रही है वह भी अच्छा है ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
गत वर्ष में सेकेंडरी कक्षा में औसतन 31 छात्रों पर एक अध्यापक था लेकिन इस सत्र में का 21 छात्रों पर एक अध्यापक है तो इस हिसाब से हालातो में थोड़ा सुधार हुआ है
निष्कर्ष
जरूरत है नई फैसले लेने की जो मौजूदा शिक्षा के हालात में सुधार कर सकें ताकि देश का भविष्य आगे चलकर अच्छा हो सके और शिक्षित हाथों में जाए तथा सर्वश्रेष्ठ श्रेष्ठ बन सके।
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